राग दरबारी by श्रीलाल शुक्ल

राग दरबारी

श्रीलाल शुक्ल with Shrilal Shukla

335 pages first pub 1968 (editions)

fiction classics funny slow-paced
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Description

रागदरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता अनावृत करता है। शुरू से आखिर तक इ ने निस्संग और सौददेश्य व्यंगय के साथ हिंदी का शायद यह पहला उपन्यास है। फिरभी राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका समबन्ध एक ...

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