A review by jainandsdiary
Hausale Ki Oonchi Udaan by Surendra Mohan, Surendra Mohan

4.0

किताब: हौसले की ऊंची उड़ान
लेखक: सुरेंद्र मोहन
पृष्ठ संख्या: 200
रेटिंग: 4.4/5

हौसले की ऊंची उड़ान, लेखक सुरेंद्र मोहन द्वारा लिखा गया सिविल सेवा परीक्षा का सफरनामा है जो की किताब के पृष्ठ से साफ़ ज़ाहिर होता है। कहानी मोहन नामक एक लड़के की है जिसके जीवन में यौवन का अभी बस प्रवेश ही हो रहा होता है जब उसे एक लड़की से प्रेम हो जाता है। यूं तो मोहन वित्तीय दृष्टि से समाज के निम्न वर्ग में आता है और इस समय तक उसके जीवन का कोई खास लक्ष्य होता भी नहीं है। उसकी बस थोड़ी से ख्वाइशें हैं - पेट भर भोजन, सादा-सरल जीवन और अपनी नई नई प्रेमिका - छाया का प्यार। और इस प्यार को पाने के लिए मोहन किन किन हदों को पार कर सकता है - अपने जीवन की सारी हदें। एकदम वैसे ही जैसे नए नए प्यार में सवार लड़के सारी दुनिया की हदें पार करने वाली बातें करते है। लेकिन क्या मोहन सच में कुछ ऐसा कर सकता था जिसकी वजह से उसकी जिंदगी की काया पलट जाए?

अक्सर ऐसा होता है ना जब हम घर से निकलते किसी एक सामान को खरीदने निकलते है और जब हम उस राह पर चलते हैं, हमें कुछ इस समान मिल जाता है, जो हमें उस सामान से ज़्यादा कीमती लगने लगता है जिसे हम वाकई में खरीदने गए थे।

ऐसा ही कुछ हुआ हमारी इस कहानी के मोहन के साथ। चाह तो उसकी छाया का प्यार पाने की थी, पर कब उसका मार्ग उसे छाया से हटाकर सिविल सर्विसेज की ओर ले गया, इसने उसे भी अचंभित किया। लेकिन क्या किसी चीज़ को चाहने से ही सब हासिल हो जाता है क्या? अब यह सफ़र उसको कहां तक ले कर जायेगा और उसे उसकी मंज़िल मिलेगी या नहीं, ये तो आपको कहानी ही बताएगी!

यह किताब आपको वाकई सिविल सर्विसेज की परीक्षा के बारे में नजदीक से बताएगा। राह में आनी वाली मुश्किलें, आर्थिक स्थिति की वजह से मार्ग में आने वाले रोड़े, असफलता का दबाव, अपनों की अपेक्षाएं, इस अभी चीज़ों को किताब में बखूबी दिखाया गया है।

कहानी काफ़ी दमदार है। साथ ही पात्रों को भूमिका, उनका व्यवहार, उनकी सोच एवं उनकी सोच का उनके कार्यों पर असर, उनका हाव भाव, रहन सहन, एवं किसी विशेष घटना पर उनकी प्रतिक्रिया काफ़ी अच्छी तरह से पेश की गई है। कहानी के पात्र आपको कहानी से पूरे समय बांधकर रखने में सक्षम हैं, साथ ही कहानी में आगे होने वाली घटनाओं के प्रति उत्साह को बरकरार रखने में लेखक सफल हुए हैं। कहानी के मुख्य पात्र से जुड़े अन्य पात्र भी कहानी में मुख्य भूमिका निभाते है। कई बार ऐसा लगता है कि केवल कहानी ही नहीं, उसके साथ साथ आप भी आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि अन्य पत्रों को भी मुख्य भूमिका में रखकर उनके सोच विचारों को सम्मिलित किया जा सकता था लेकिन ये न होने पर भी कहानी अधूरी से नहीं लगती और यही इसकी खासियत है।


यह किताब में केवल एक चीज़ है जिसमे मेरे ख्याल से सुधार किया जा सकता है। मोहन एवं उसका परिवार गांव में निवास करते है। इस कारण उनकी भाषा हिंदी ना होकर देहाती है। इस कारण उसे किताब में देहाती में ही दर्शाया गया है जो सरहनिया है। मुझे देहाती भाषा पढ़ने - समझने में कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन इस कई पाठक है जो केवल शुद्ध हिंदी जी पढ़ सकते है एवं इस भाषा में लिखे वाक्यों को पढ़ने में उन्हें थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इस कारणवश अगर उन्हीं वाक्यों के नीचे सामान्य हिंदी में उनका अनुवाद लिखा होता तो सहायक होता। ऐसे ही अगर अंग्रेज़ी के वाक्यों का भी अनुवाद उन वाक्यों के साथ दिया जाए, तो बेहतर रहेगा।