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A review by indravijay
Estuary by Perumal Murugan
5.0
पेरुमल मरुगन से मेरा पहला परिचय पिछले महीने हुआ जब मैंने किंडल पे पुनाची पढ़ी। कहानी साधारण होते हुए भी बहुत अच्छी है और दिल को छू लेने वाली है। लगातार हिंदी साहित्य पढ़ने के कारण जो एकरसता आ जाती है उसे इस उपन्यास ने बखूबी तोड़ा और नयापन होने के कारण बहुत ही अच्छा लगा। पेरुमल मरुगन के बारे में जब पढ़ा कि उनकी किताब नर नारीश्वर इतनी चर्चित हुई कि संगठनों के विरोध के कारन उन्होंने लेखक के तौर पर 2015 में अपनी मृत्यु की घोषणा कर दी । इसलिए हिंदी में उपलब्ध न होने के बाबजूद मैंने तमिल साहित्य की इस कृति का इंग्लिश वर्जन पढ़ना शुरू किया। यह मरुगन कि शहरी पृष्ठभूमि का पहला उपन्यास है।
यह कहानी है एक ऐसे पिता की जो की सरकारी नौकरी में है और एक बँधी बधाई लीक पर अपना जीवन यापन कर रहा है। टेक्नोलॉजी और मोबाइल के दुष्प्रभाव को देखने से वह इतना घबरा जाता है कि अवसादग्रस्त होकर पागलपन के कगार पर पहुंच जाता है।
कहानी का प्लॉट जितना साधारण है, लिखने का तरीका उतना ही असाधारण है। कहानी में गजब का प्रवाह है और इसने अन्य भाषा की होने के बाबजूद मुझे बांधे रखा। जैसे जैसे यह अंत की ओर पहुंचती गयी इसने लेखन के चमत्कार से मुझे अचंभित कर दिया। इसमें आधुनिक जीवन में हम जो भी चुनौतियां झेल रहे है उसका सुक्ष्म विवरण है। दक्षिण के होते हुए भी इसे पढ़ते समय लगता है कि यह हमारे घर की घटना हो।
यह कहानी है एक ऐसे पिता की जो की सरकारी नौकरी में है और एक बँधी बधाई लीक पर अपना जीवन यापन कर रहा है। टेक्नोलॉजी और मोबाइल के दुष्प्रभाव को देखने से वह इतना घबरा जाता है कि अवसादग्रस्त होकर पागलपन के कगार पर पहुंच जाता है।
कहानी का प्लॉट जितना साधारण है, लिखने का तरीका उतना ही असाधारण है। कहानी में गजब का प्रवाह है और इसने अन्य भाषा की होने के बाबजूद मुझे बांधे रखा। जैसे जैसे यह अंत की ओर पहुंचती गयी इसने लेखन के चमत्कार से मुझे अचंभित कर दिया। इसमें आधुनिक जीवन में हम जो भी चुनौतियां झेल रहे है उसका सुक्ष्म विवरण है। दक्षिण के होते हुए भी इसे पढ़ते समय लगता है कि यह हमारे घर की घटना हो।